Pashupalan idea: नेपियर घास ने इस किसान के लगाए ठाठ, 8 साल तक नही बिजाई की जरूरत, अधिक दूध बेचकर कमा रहे मोटा पैसा
इस घास को जमीन से खुदाई कर ऊपर से हरा चारा काटने के बाद हल्का तिरछा करके जमीन में लगा दिया जाता है।
Pashupalan idea: नेपियर घास ने इस किसान के लगाए ठाठ, 8 साल तक नही बिजाई की जरूरत, अधिक दूध बेचकर कमा रहे मोटा पैसा
छपरा के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी फसलों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी विशेष किस्म का हरा चारा उगा रहे हैं, जो न केवल उनकी आय बढ़ा रहा है, बल्कि दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी कर रहा है। इस घास का नाम है ‘नेपियर’, जिसे एक बार लगाने के बाद बिना किसी विशेष खर्च के 5 से 8 साल तक उपयोग किया जा सकता है।
नेपियर घास की विशेषताएँ
नेपियर घास एक ऐसी फसल है जिसे एक बार लगाने के बाद कई सालों तक काटकर पशुओं को खिलाया जा सकता है। यह चारा एक बार लगाने के बाद 5 से 8 साल तक हरा चारा के रूप में मवेशियों को खिलाया जा सकता है। इसमें केवल समय-समय पर पानी और गोबर से तैयार जैविक खाद्य की आवश्यकता होती है, जिससे इसका रखरखाव काफी कम खर्चीला होता है।
तेजी से बढ़ता है
नेपियर घास को काटने के बाद कुछ ही दिनों में यह फिर से तैयार हो जाती है। इस घास को जमीन से खुदाई कर ऊपर से हरा चारा काटने के बाद हल्का तिरछा करके जमीन में लगा दिया जाता है। इसके बाद आलू की मेड की तरह मिट्टी चढ़ाकर साइड में नाली बनाई जाती है, जिसमें पानी छोड़ने पर यह घास तेजी से बढ़ती है।
सारण के किसान विष्णु प्रकाश सिंह उर्फ मुरारी ने कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ने के बाद नेपियर घास के बारे में जानकारी प्राप्त की और इसे अपने खेत में लगाया। उन्होंने बताया, “पहले मुझे हर महीने 5 से 8 हजार रुपये का चारा खरीदना पड़ता था, लेकिन नेपियर घास लगाने के बाद अब वह पैसा पॉकेट में बच रहा है।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस घास को मवेशी को खिलाने से दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो रही है, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई है।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
किसान इस घास को बेचकर अच्छी खासी आय भी अर्जित कर सकते हैं। नेपियर घास के प्रति कट्ठा की कीमत 800 से 1000 रुपये तक होती है, जिससे किसान मोटी कमाई कर सकते हैं।